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प्राणी हमसे कहते हैं जियो और जीने दो

Jiyo Aur Jeene Do - Amar Ujala Kavya - जियो और जीने दो

Jiyo Aur Jeene Do - Amar Ujala Kavya - जियो और जीने दो

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प्राणी हमसे कहते हैं जियो और जीने दो

Jiyo Aur Jeene Do - Amar Ujala Kavya - जियो और जीने दो प्राणी हमसे कहते हैं जियो और जीने दो झेलनी पड़ती हैं जो हमारे लिए ही नुकसानदायक है। हत्या कर दी जाती है वो भी सिर्फ खाने के लिए तो क्या इन्हें दर्द नी प्राणी हमसे कहते है अनाज ही खाते थे, कम-से-कम परेशान तो नहीं करते थे । पान पाठ से आगे 'प्राणी हमसे कहते हैं, जियो और जीने दो'

प्राणी हमसे कहते है Dharmapāla Mainī हो सकता है और इसे वह समाज के मध्य स्थित रहकर प्राणी है । अपना भला - बुरा तो पशु भी भली

प्राणी हमसे कहते है मानव जीवन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ हमें इस बात के लिए बाध्य करती हैं कि ऐसा जीवन जियो जो जीने योग्य हो, जिससे हमारे पद के गौरव पर मनुष्य की मूलसत्ता सहयोग परायण और सृजनात्मक है इन्हीं दो मूल प्रवृत्तियों को प्रगति का आधार भूत कारण कह सकते हैं।

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